अभी हमें नरेन्द्र कोहली के साहित्य को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ. इन्होने रामायण के मानवीकरण भावः को कुछ पुस्तकों में बहुत ही उत्तम ढंग से प्रस्तुत पिया है. पहला भाग, जो कि दीक्षा के नाम से प्रकाशित है, मैंने अभी छुट्टियों में पढ़ा. यह मूलतः राम के युवावस्था कि कहानी है...जब राक्षसों से ट्रस्ट हो कर गुरु विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अयोध्या से ले आये और उनको अस्त्र-शस्त्र कि शिक्षा दी.
इस प्रसंग में नरेन्द्र जी जब दशरथ के व्यक्तित्व के बारे में लिखते हैं...तो वह थोडा कलयुग से प्रभावित मानवीकरण लगता है. दशरथ का चरित्र रामायण में ऊँचा मन गया है...लेकिन इस पुस्तक में यह इतना अछछा नहीं दर्शाया गया है. राम और लक्ष्मन का चरित्र बहुत ही बारीकी से प्रस्तुत किया गया है....जो कि वस्तुतः सराहनीय है.
यह पुस्तक बहुत ही रोचक हो जाती है...जब गौतम-अहिल्या प्रसंग आता है. इतना जीवंत छत्रं मैंने अपने याद में किसी भी उपन्याश में नहीं पढ़ा था. इन्द्र के द्वारा अहल्या का शील हरण और उसके बाद केवल एक आक्षेप से अहिल्या के जीवन को नष्ट कर देने का सफल प्रयास बहुत ही दारुण है और आपको आज के युग में भी नारी कि दुर्दशा के बारे में बहुत कुछ बता जाता है. पश्चात् इसके, गौतम का असमंजस और एक निर्णय पर पहुंचना बहुत ही रोचक है. श्राप के असर के बारे में लेखक के विचार बहुत श्रेष्ठ हैं .. मसलन कि ऋषि का श्राप तभी असरदार होगा जब रजा उनके साथ हो औत वोही निश्चित करें कि श्राप का पालन हो. गौतम इन्द्र को श्राप देते हैं कि अब किसी भी यज्ञ-अनुष्टान में इस्द्र कि पूजा नहीं होगी और जनक इस बात को फलीभूत करने का वचन देतें हैं.
एक शापित जीवन व्यतीत कर रही अहिल्या का उधर भगवन श्री राम करते हैं....उन्हें पूरा सम्मान देकर...श्री राम को एक पुरुष रूप में प्रस्तुत किया गया है...जो निर्भीक हैं, चरित्र वाले हैं और नारी को अछिछी तरह से समझते हैं.
यह एक ऐसी पुस्तक है जो हर किसी को एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए.
नरेन्द्र कोहली - Wikipedia
शुभ हो नववर्ष
13 years ago
I had also read Deeksha, before reading the other sections and felt the same. He has tried to explain the Ramayan through a modern perspective. However i was not very impressed by the way he has written the others. Interesting reading anyway...
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