Tuesday, August 23, 2011

Anna and idiots in my INDIA......

आज अरुंधती रॉय जैसे कुछ लोगों की राय देखकर कुछ लाइनें याद आ रहीं हैं दिनकर जी की -

क्षुद्र पात्र हो, मग्न कूप से जितना जल लेता है
उससे अधिक वारी सागर भी उसे नहीं देता है !

ये लाइनें कितनी सजीवता से इस तरह की स्थिति को स्पष्ट कर देती हैं. इस तरह के हर किसी की सोच के बारे में सोच कर तरस से ज्यादा कुछ नहीं आता. एक महापुरुष जिसने पिछले २० वर्षों में  इस देश और प्रदेश के लिए इतना कुछ किया है. Right of Information से लेकर कुछ और अहम् मुद्दों पर अन्ना ने जितना योगदान किया है, उसके बारे में लोगों को जानने की जरूरत है. कैसे बनी होगी कपिल सिब्बल की ये मानसिकता जब उन्होंने कहा -

"अन्ना को टीवी पर अपने आप को दिखने के लिए  ये आन्दोलन का नाटक है"
अब ऐसे मामले में कपिल सिब्बल की समझदारी कुछ और बड़े मतलबों से दबी रह गयी तो क्या ये अरुंधती रॉय जैसों को नहीं समझ में आ रहा.

ये एक ही मामला नहीं था, इसके बाद एक और कांग्रेस के नेता ने बहुत ही नीचता से कुछ बयान दिए -

"भ्रस्टाचार की लड़ाई की बात करने वाले अन्ना....तुम तो खुद ही सर से पांव तक भ्रस्टाचार में लिप्त हो"

इस नेता, जिसका नाम मनीष तिवारी है ने ये भी कहा कि अन्ना सेना छोड़ के भागे थे...कितना शर्मनाक है इस नेता का व्यवहार और यह जल्दी ही सिद्ध हो गया जब एक RTI के जवाब में ये सारे आरोप से सेना ने अन्ना को बरी कर दिया. इस दुष्ट प्रकृति नेता ने कभी भी क्षमा नहीं मांगी जो कि सिद्ध करता है कि यह बहुत ही दोयम दर्जे के इन्सान(?) हैं.
कितना दुखद था ये, कैसी होगी वो मां जिसने ऐसे अभागे को जन्म दिया. मन लें कि संस्कार और बड़े छोटे के अंतर को आज कल के लोग भूल गए हों लेकिन फिर भी ऐसे बयानबाजी पर तो इस बेशर्म इन्सान(?) को धिक्कार है.

उसके बाद भी बहुत सारे कांग्रेस के नेताओं ने बेशर्मी दिखाने कि कोशिश कि मसलन दिग्विजय सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी और बेशर्म कपिल सिब्बल |

असल में बात जो समझ में आती है वो ये है कि जो कुछ पढ़े लिखे और स्वार्थ में अंधे लोग हैं इनको वो अन्ना जो कि ८ दिन से अनशन पर बैठे  हैं और पहले भी देश और प्रदेश कि भलाई के लिए अनशन कर चुके हैं, वो स्वार्थ परक दिख सकते हैं. इनकी समझदानी इतनी छोटी हो सकती है, ये आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है और इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता. कोई भी अच्छे से पढ़ा इन्सान इस बात को क्यूँ नहीं समझ सकता कि अन्ना दूसरे गाँधी या कुछ बड़े हैं जो इतना बड़ा संघर्ष कर रहे हैं. अभी भी अगर कुछ समझ्दानियाँ छोटी हैं, भगवन ! इनकी समझदानी को बढ़ाये और अगर ये भगवन को नहीं मानते (जैसा कि प्रायः देखा जाता है) तो ये इस ज़िन्दगी में कुछ अच्छा सोच नहीं सकते.  भगवन इनके अगले जन्म में इन्हें थोड़ी बड़ी समझदानी दें !

अन्ना संघर्ष करो !
हम तुम्हारे साथ हैं !!

अब तो ये स्पष्ट है !
कांग्रेस आई भ्रष्ट है !!

Sunday, June 12, 2011

Vinash kale viprit budhhi......

अन्ना के सामने कांग्रेस पार्टी और सर्कार बेबस तो दिख रही है लेकिन फिर भी सरकार का रवैया अजीब सा है. बहुत कुछ परोक्छ होते हुए भी और सरकार बेबसी में भी कदा रुख अपनाने की कोशिश कर रही है....साढ़े हुए राजनीतिज्ञ जो की परिस्थितियों को अच्छे से कण्ट्रोल कर सकते थे, शांत रहे हैं और कुक उदंड लोगों ने परिस्थितियों को सम्हालने की कोशिश की है. जिस तरीके से कांग्रेस ने बाबा रामदेव के अनशन को भंग किया, वो तो सरकार के दिवालियेपन की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है और साथ में ये भी स्पष्ट होता है की सरकार में कुछ लोगों ने नहीं बल्कि मामला कुछ और लोगों ने सम्हाला है जिनकी परिपक्वता पर सवाल खड़े होते हैं. मुझे तो प्रतीत होता है की यह सोनिया जैसे लोगों की शाह पर कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे लोगों ने परिस्थितियों को बिगाड़ा है.

अभी तो यही लगता है की सरकार "विनाश काले विपरीत बुध्धि" वाले कहावत को चरितार्थ कर रही है. देश का दुर्भाग्य है की बाबा रामदेव और अन्ना हजारे जैसे महा पुरुष जिन्होंने कई मौकों पर सिद्ध किया है की वो लोग देश हित में समर्पित है, प्रश्न चिन्ह लगाये जा रहे हैं.