Sunday, December 30, 2018

यह बोलने वाले डब्बे से जब ये गाना सुन  रहा था तो लगा की तुकबंदी ही सही लेकिन लिखने वाले ने अच्छा ही लिखा है. बचपन की  गयी जब हिंदी के एग्जाम में लिखते थे - "कवि कहता है कि…। ". 
तो  कवि कहता है की -

Tune maari entriyan re
Dil mein baji ghantiyaan re, Tann!
Dil ki sun commentriyan re
Pyaar ki guarantiyan re, Tung!

तूने मारी एंट्रियां रे  बजी घंटियाँ रे - टन 
दिल की सुन कमेँट्रीयन रे प्यार की गारन्टियाँ रे - टंग [ घंटी की  आवाज़]

Arey taada taadi karna
Na ab nahi sudharna
Phootne laga hai re chaahaton ka jharna

अरे ताड़ा ताड़ी करना, न अब नहीं सुधारना 
फूटने लगा है, रे  चाहतों का झरना

Dil ki na marammatein hoN
Naa koi warrantiyan re, Tang!

There be no repairs of the heart,
nor any warranties, Tann!

Tune mari entriyan re
Dil mein baji ghantiyaan re, Tan!

Seeti veeti, aankhein vaankhein na yoon maaro
Phenko na chaahat ke daane
Majnoo-Ranjhe saare jhoothe hain yahaan pe
Jhoothe hain dil ke fasaane

Don't whistle, wink etc. like that,
Don't throw me grains of love.. [as in, don't entice me with promise of love]
all the lovers are fake here,
the stories of hearts are false..

chaahe to, le le tu
Wafaa ki aaj kasme-wasme
na hoon main, na hai dil
Zara bhi dekh apne bas mein, bas mein

If you so wish, you can today take from us
promises of faith, love
Neither am I there, nor the heart,
in control here at all, see for yourself..

Peechhe mere aashiqon ki
poori poori countriyan re, Tang..
maine maari entriyaan re
Dil mein baji ghantiyaan re, Tang!

Following me there are complete countries
of lovers, Tang!
When I took entries,
bells struck in the heart, Tang!

meethi meethi baatein kar ke aana chaahe
Dheere se nazdeek pyaare
Haan bhole panchhi tu na samjhe ke main kya hoon
Sholon ko samjhe tu taare

With sweet talks you want to come closer to me
slowly O dear..
O innocent bird, you don't know what I am,
You think of fireballs as stars..

jo bhi hai, jaisi hai
Meri hai jaan maine maana
jo bhi ho jaise ho
Maine hai yaar tujhko paana, paana..

Whatever you are, howsoever,
You're my life I have admitted,
However, in whatever way,
I have to get you dear..

Senti ho ke baatein bhi
Tu kar raha hai sentiyaan re, tang!

Having gone sentimental,
You're talking sentimentally too.. Tang!

maine maari entriyaan re
Dil mein baji ghantiyaan re..



Movie: Gunday
Music: Sohail Sen
Lyrics: Irshad Kamil
Singers: Bappi Lahiri, K.K., Neeti Mohan, Vishal Dadlani

Saturday, April 28, 2018

Donon hi bhagwan hain....












                                                                                        


बहुत दिनों की बात है ...वापस आ रहा हूँ कुछ प्रस्तुत करने !




                                                                                       


दोनों ही भगवन हैं..



श्री राम यथार्थ से थोड़े दूर लगते हैं ! नहीं, मैं ये नहीं कह रहा हूँ की श्री राम यथार्थ  नहीं हैं किन्तु श्री राम कलयुग देखते हुए वास्तविक नहीं लग सकते हैं ! प्रभु राम का पूरा जीवन ही आदर्श के चरम पर दिखता है !




जीवन की शुरुआत गुरुकुल में, फिर घर पहुंचते ही पुनः गुरु वशिष्ठ और ब्राह्मणों की रक्षा के लिए पुनः कठिन जीवन के लिए प्रस्तुत होना ! ये सब तब जब उन्हें गृह वापस आने पर रुकने के पुरे अवसर थे ! ये कठिन था और अभी तो कलयुग के परिप्रेक्ष्य में असंभव लगता है किन्तु प्रभु राम के लिए ये निश्चित करना ज्यादा कठिन नहीं था ! उसके बाद विवाह हुआ, गुरु की इच्छा से और क्षत्रिय धर्म के लिए उन्होंने  भाग लिया और जिस भांति उन्होंने परशुराम जी के उग्र व्यव्हार को शांति पूर्वक सुना और फिर उन्हें प्रणाम करते हुए उस रूप का दर्शन दिया, अनुभूति कराई, वो व्यवहार ही उन्हें प्रभु श्री राम बनाता है ! विवाह उपरांत घर पहुंचे और नारी-कलह ने पुनः उन्हें विस्थापित कर दिया !


श्री पिता के वचन के हेतु उन्होंने सहर्ष वन जाना स्वीकार किया, जब पिता स्वयं ही अपने वचन के लिए ग्लानि मन रहे थे ! माँ कैकेयी के बारे में उन्होंने कुछ भी बुरा नहीं सोचा और वन जाने के लिए प्रस्तुत हो गए ! धन्य हैं सीता जी जिन्होंने उनके साथ वन जाना स्वीकार किया और बिना कुछ विचार किये अपने को प्रस्तुत कर दिया. ! वो लक्ष्मण जो राम के साथ हमेशा रहे, उन्हें अवसर मिला होता की वो राजा बनें किन्तु उन्हें  वो तुच्छ लगा ! ये आदर्श प्रभु श्री राम के स्थापित किये आदर्श  से मेल खाता है !


और फिर वो श्री भरत जो श्री राम के खड़ाऊँ ले कर और तपस्वी रूप में राज्य का कार्य-भर सम्हालते हैं ! ये श्री राम के आदर्श ही थे जो श्री राम को इतने ऊँचे स्तर पर ले जाते हैं जो अविश्वसनीय हैं...








फिर श्री कृष्णा हैं....


युग बदला और छल प्रपंच जीवन में घुल मिल गया ! कंस हुए जिन्होंने अपने भांजों के जन्म पर ही त्रास दिया ! भगवन फिर आये श्री कृष्णा के रूप में ! किन्तु इस छल की दुनिया में अब सब कुछ बदल गया था ! छल के इस प्रबंध में छल का काम बढ़ा !


शेष। ..


कुल मिला कर कर्म प्रधान है , ये सीख तो मिलती ही है !

































Thursday, October 30, 2014

rim jhim gire sawan....

रिम  झिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाये मन
भींगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन !!

लता मंगेशकर की आवाज़ में ये ख़ूबसूरत गीत आज की दिन भर की थकन पूरी नहीं तो थोड़ी थकन तो जरूर दूर करता है. सोच रहा हूँ की आज कल के गाने और पुराने गानों  में कितना  फर्क है. और फिर ये भी  है की आज की जनरेशन कितना कुछ मिस करती होगी. कहीं  पढ़ा था की अगर क्लासिकल मुस्िक सुना जाये तो स्ट्रेस लेवल वैसे ही कंट्रोल रहता है और आज कल के गाने तो क्लासिकल मुस्िक से कोसों दूर रहते हैं.

आने वाली जनरेशन या तो  इतनी कूल होगी की उनको जरूरत ही नहीं होगी किसी भी स्ट्रेस बस्टर की। …उमॆद करता हूँ ऐसा ही हो.  वैसे तो देख रहा हूँ की कुछ नै पीढ़ी के लोग  सुन रहे हैन…और एन्जॉय भी कर रहे  हैं.

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मुझे फिर वोही याद आने लगे हैं, जिन्हें भूलने में ज़माने हैं !

सुना है हमें वो भूलने लगे हैं, तो क्या क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं !!

कुछ  और लाइनें याद आती हैं जो गुजरे हुए ज़माने में ले जाती हैं. हरिहरन की ये ग़ज़ल पुराने ज़माने की याद हैं।  तब, जब की कैसेटस चला करते  थे और वॉकमेन हाथों में शोभा बढ़ता था.





































































Monday, October 27, 2014

Aak...cheen....Thand aa rahi hai

ठंड है की दबे पावं आना चाहती है किन्तु लोग आने नहीं देते.  ऑफिस में बैठे मैं सोच रहा था की ठंड का उदघोस लोग किस तरह से छींक  छींक कर कर दे रहेँ हैं. ठंड का मुंह छुपाना मुश्किल हो गया है और इसलिए ठण्ड थोड़ा लुक-छिप्पी के मूड में आ जाती है.

अभी दिन में थोड़ी ठण्ड बढ़ थी  तभी लोग शुरू हो गये....

आक्छ्ह्हॆऎ…।
अठान्नन्न

……

ठण्ड शर्मा गयी और  भाग ली !

उसने देखा  ऐसे ही परेशान हैं....थोड़ा छोड़  दें,बख्श दें इनको इनके हाल पर !
अच्छा लगा की ठण्ड इतना कन्सिडराते हो रही है, काश ऐसा ही होता ! लेकिंग फिर समझ  की कश्मीर की  बारिश और आंध्र के हुद हुद को  थी थोड़ा कन्सिडराते होने में.  डेवलपमेंट तो इतना वहां  भी नहीं था की इतनी तबाही  पड़े. कश्मीर के बदल क्यों रो पड़े के जहाँ देखो वहीं पानी, हुद हुद तो खैर समुसदृक्  था सो उसकी अपनी मर्ज़ि.

कुछ भी हो, ठण्ड आना मांगती है,  हर साल तो आती है तो अभी थोड़ा वेट करके बेशर्मी दिख्सती आ ही जाएगी :-)

Wednesday, October 1, 2014

Faiz by Abida.......

Continuing the contribution on the blog with Faiz's creations.
A great ghazal from the album - "Faiz by Abida" 
शाम ए फ़िराक़ अब न पूछ, आइ और आके टल गई ! Shaam-e-firaaq ab na puuchh aayii aur aake tal gayii
दिल था के फिर बहल गया, जां थी के फिर संभल गयी !! Dil thaa K phir bahal gayaa, jaaN thii K phir sambhal gaii
बज़्म इ ख्याल में तेरे हुस्न की शम्मा जल गयी ! Bazm-E-khayaal meN tere husn kii sham’aa jal gayii
दर्द का चाँद बुझ गया, हिज्र की रत ढल गयी !! Dard kaa chaaNd bujh gayaa, hijr kii raat dhal gayii

जब तुझे याद कर लिया,सुबह महक महक उठि ! Jab tujhe yaad kar liyaa, subhh mahak mahak uthii

जब तेरा ग़म जग लिया, रात मचल मचल गयी !! Jab teraa Gham jagaa liyaa, raat machal machal gayii
दिल से तो हर मुआमला, करके चले थे साफ हम ! Dil se to har mu’aamlaa karake chale the saaf ham
कहने में उनके सामने, बात बदल बदल गयी !! Kahane meN unke saamane baat badal badal gayii

आखिर इ शब के हमसफ़र, "फैज़" न जाने क्या हुए ! Aakhir-E-shab ke hamasafar ‘Faiz’ na jaane kyaa hue
रह गयी किस जगह सब्बा, सुबह किधर निकल गयी !! Rah gayii kis jagah sabaa, subha kidhar nikal gayii
~ *~*~*~ 
After quite a long time, I took shelter in "Faiz by Abida"...A magical musical creation which I was introduced by Delhi Haat, INA at one visit to the place....The loud sound @the Avadh stall - " गुल हुई जाती है। …" I was completely lost in the music. I identified that it's none other than Abida but I was not sure of the Album, after I asked about it and next day bought the CD. Few months later, I also did download through torrents which was a fashion then....:-)

I had heard of Faiz but lyrics for this album were awesome..

When I started listening again, I found other lyrics also of another ghazal which doesn't belong to the album but it's too good.

राज ए उल्फत छुप्पा के देख लिया ! Raz E ulfat chhupa ke dekh liya
दिल बहुत कुछ जला के देख लिया !! Dil bahut kuchh jala ke dekh liya
और क्या देखने को बाकी है ! Aur kya dekhne ko baaqi hai
आप से दिल लगा के देख लिया !! Aap se dil lagaa ke dekh liya
वो मेरे हो के भी मेरे ना हुये ! Wo mere ho ke bhi mere na hue
उनको अपना बना के देख लिया !! Unko apnaa bana ke dekh liya
आज उनकी नज़र में कुछ हमने ! Aj unki nazar meN kuchh hamne
सबकी नज़रें बचा के देख लिया !! Sabki nazreN bachaa ke dekh liya
आस उस दर से टूटी ही नहीं ! Aas us dar se TuTti hi nahiN
जा के देखा, ना जा के देख लिया !! Ja k dekha, na ja ke dekh liya
"फैज़" तकमील ए ग़म भी हो न सकी ! ‘Faiz’ takmil E Gham bhi ho na saki
इश्क़ को आज़मा के देख लिया !! Ishq ko aazmaa ke dekh liya
I'll be more frequent, I wish !

Thursday, January 23, 2014

Lost in politics....gain from what ?

A Kejriwal comes to rescue country known INDIA from corruption !!

Turns eyes blind to his minister and almost tried to create a "Banana republic of Delhi".

I'm MODIfied ! hardly matters what he does in Delhi until unless he can't show a "better or best governance", BJP has been already giving "good governance".

Immortals of Meluha by Amish Tripathi

Anyways, I tried completing "The Immortals of Meluha....Nagas....??" and I almost forgot the third in the line. While I found the first fabulous...second slightly dramatic and third couldn't keep me interested. For me, it needed a lot of binding than I could have.

The description and events details are too well portayed and it's chilling to read turning Lord's struggles in Meluha. The analogy created by Amish...how Lord Shiva become what he is worshiped for is a great write-up. You must get a brief about it on where else than wikipedia -

http://en.wikipedia.org/wiki/The_Immortals_of_Meluha

There are also free pdf version available as initially, there were no takers of the creation by Amish. Later, his strategy to make it available freely on web worked him miracle and the interest generated help his agent publish it.

The beauty of the creation is that it correlates to the contemporary culture and environment which may have been at that point of time. Also, there is clear link to what we see today and hence it catch your imagination in the real world. The character of Parvateshwar has been created too well. I don't know if it could be a character in mythology. Parvati is a daring, beauty who is attracted to Shiva with some face off which are slightly violent but who knows - when the survival had been so difficult, A fierce need would grow up to learn to defend oneself.

Overall, A great read...if you can keep your interest till  third of the trilogy, Great achievement !