Thursday, January 23, 2014

Lost in politics....gain from what ?

A Kejriwal comes to rescue country known INDIA from corruption !!

Turns eyes blind to his minister and almost tried to create a "Banana republic of Delhi".

I'm MODIfied ! hardly matters what he does in Delhi until unless he can't show a "better or best governance", BJP has been already giving "good governance".

Immortals of Meluha by Amish Tripathi

Anyways, I tried completing "The Immortals of Meluha....Nagas....??" and I almost forgot the third in the line. While I found the first fabulous...second slightly dramatic and third couldn't keep me interested. For me, it needed a lot of binding than I could have.

The description and events details are too well portayed and it's chilling to read turning Lord's struggles in Meluha. The analogy created by Amish...how Lord Shiva become what he is worshiped for is a great write-up. You must get a brief about it on where else than wikipedia -

http://en.wikipedia.org/wiki/The_Immortals_of_Meluha

There are also free pdf version available as initially, there were no takers of the creation by Amish. Later, his strategy to make it available freely on web worked him miracle and the interest generated help his agent publish it.

The beauty of the creation is that it correlates to the contemporary culture and environment which may have been at that point of time. Also, there is clear link to what we see today and hence it catch your imagination in the real world. The character of Parvateshwar has been created too well. I don't know if it could be a character in mythology. Parvati is a daring, beauty who is attracted to Shiva with some face off which are slightly violent but who knows - when the survival had been so difficult, A fierce need would grow up to learn to defend oneself.

Overall, A great read...if you can keep your interest till  third of the trilogy, Great achievement ! 

Saturday, September 7, 2013

A poem by Gopal SINGH Nepali ji

य़े  मेरी कुछ मनपसंद कविताओं में से एक है,  मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता होगी की यह कविता  पाठ्यक्रम में निहित हैं !

यह लघु सरिता का बहता जल

यह लघु सरिता का बहता जल
कितना शीतल, कितना निर्मल
हिमगिरि के हिम से निकल निकल,
यह निर्मल दूध सा हिम का जल,
कर-कर निनाद कल-कल छल-छल,
तन का चंचल मन का विह्वल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।
उँचे शिखरों से उतर-उतर,
गिर-गिर, गिरि की चट्टानों पर,
कंकड़-कंकड़ पैदल चलकर,
दिन भर, रजनी भर, जीवन भर,
धोता वसुधा का अन्तस्तल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।
हिम के पत्थर वो पिघल पिघल,
बन गये धरा का वारि विमल,
सुख पाता जिससे पथिक विकलच
पी-पी कर अंजलि भर मृदुजल,
नित जलकर भी कितना शीतल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।
कितना कोमल, कितना वत्सल,
रे जननी का वह अन्तस्तल,
जिसका यह शीतल करुणा जल,
बहता रहता युग-युग अविरल,
गंगा, यमुना, सरयू निर्मल।
यह लघु सरिता का बहता जल।।

धन्यबाद 
http://www.hindisahitya.org/ और विनय कुमार जी का जिनके योगदान से यह मुझे उपलब्ध हो पाया !

Tuesday, August 21, 2012

rimjhim ke tarane le ke aayee barsat...

....रिमझिम के तराने ले के आयी बरसात ....

यही गीत बज रहा है और मैं ख्यालों में खोता जा रहा हूँ । 

एक दिवस जब बरसात आयी है काफी दिनों के बाद दिल्ली क्षेत्र में, हर कोई तरस ही रहा था इस बरसात के लिए, पर इसकी भी अपनी समस्या है । बड़े सारे जगहों  पर गाड़ियाँ ठप्प हो गयी और परिणामस्वरूप जाम लग गए थे । सुबह-2 समाचार चंनेल्स ने भी चिल्लाना शुरू कर दिया है । "Breaking News : पुरानी दिल्ली के सारे रस्ते बंद, रिंग रोड पर 3 kms का जाम ....."

चित्राक्षी उठ गयी हैं और अपनी दिव्य भाषा जो की तेते और पापापा ....जैसी शब्दावली से बनी है, बतियाने की कोशिश कर रही हैं । ऑफिस के लिए निकालने से पहले हम चित्राक्षी को प्यार करते हैं और फिर चल देता हैं। बरसात हो रही है और गाड़ी की चाल भी उसी के हिसाब से धीरे है । 

coal gate मुद्दा अभी भी गर्म बना हुआ है और जिस तरह से सरकार पुरे मुद्दे को ठन्डे बसते में डालने की कोशिश में लग गयी है, इससे जाहिर होता है कि भेण तंत्र देश के नेताओं को कितने सुगम अवसर प्रदान करता है लाखों करोरों उड़ने के लिए, ऐसे ही दिमाग में 2G  और Commonwealth घोटाले की भी प्रसारित समाचार याद आ रहे हैं। लेकिंन क्या हुआ, कुछ भी तो नहीं , कलमांदी साहब तो ओलिम्पिक  में हिंदुस्तान की तरफ से लन्दन भी घूम आये। मुझे लगता है की कोई भी पर्तिसिपंत अगर इनको वहां लन्दन में अपने इवेंट के दिन देख लेता होगा तो सोचता होगा की छोड़ो यार, क्यूँ मेहनत करना, ऐसे तो नेता हैं हमारे यहाँ जो इतने बदनामी के बाद भी शर्म नहीं करते। ना लेंगे मेडल तो क्या, ओलिम्पिक में आ तो गए ही।

बहरहाल, उन सबको बधाइयाँ है तो मेदल्स लेकर आये और उनको भी जिन्होंने अपना पूरा प्रयास किया । नहीं दे पा रहा हूँ बधाइयाँ तो उनको जो होकी की पूरी साख मिटा आये लन्दन में ।

खयालो से बहार आके सोचता हूँ की कल फिर ऑफिस जाना है ,
अभी भी वोही गीत चल रहा है।...


.....रिमझिम के तराने ले के आयी बरसात ....

शुभ रात्रि !!!

Tuesday, August 23, 2011

Anna and idiots in my INDIA......

आज अरुंधती रॉय जैसे कुछ लोगों की राय देखकर कुछ लाइनें याद आ रहीं हैं दिनकर जी की -

क्षुद्र पात्र हो, मग्न कूप से जितना जल लेता है
उससे अधिक वारी सागर भी उसे नहीं देता है !

ये लाइनें कितनी सजीवता से इस तरह की स्थिति को स्पष्ट कर देती हैं. इस तरह के हर किसी की सोच के बारे में सोच कर तरस से ज्यादा कुछ नहीं आता. एक महापुरुष जिसने पिछले २० वर्षों में  इस देश और प्रदेश के लिए इतना कुछ किया है. Right of Information से लेकर कुछ और अहम् मुद्दों पर अन्ना ने जितना योगदान किया है, उसके बारे में लोगों को जानने की जरूरत है. कैसे बनी होगी कपिल सिब्बल की ये मानसिकता जब उन्होंने कहा -

"अन्ना को टीवी पर अपने आप को दिखने के लिए  ये आन्दोलन का नाटक है"
अब ऐसे मामले में कपिल सिब्बल की समझदारी कुछ और बड़े मतलबों से दबी रह गयी तो क्या ये अरुंधती रॉय जैसों को नहीं समझ में आ रहा.

ये एक ही मामला नहीं था, इसके बाद एक और कांग्रेस के नेता ने बहुत ही नीचता से कुछ बयान दिए -

"भ्रस्टाचार की लड़ाई की बात करने वाले अन्ना....तुम तो खुद ही सर से पांव तक भ्रस्टाचार में लिप्त हो"

इस नेता, जिसका नाम मनीष तिवारी है ने ये भी कहा कि अन्ना सेना छोड़ के भागे थे...कितना शर्मनाक है इस नेता का व्यवहार और यह जल्दी ही सिद्ध हो गया जब एक RTI के जवाब में ये सारे आरोप से सेना ने अन्ना को बरी कर दिया. इस दुष्ट प्रकृति नेता ने कभी भी क्षमा नहीं मांगी जो कि सिद्ध करता है कि यह बहुत ही दोयम दर्जे के इन्सान(?) हैं.
कितना दुखद था ये, कैसी होगी वो मां जिसने ऐसे अभागे को जन्म दिया. मन लें कि संस्कार और बड़े छोटे के अंतर को आज कल के लोग भूल गए हों लेकिन फिर भी ऐसे बयानबाजी पर तो इस बेशर्म इन्सान(?) को धिक्कार है.

उसके बाद भी बहुत सारे कांग्रेस के नेताओं ने बेशर्मी दिखाने कि कोशिश कि मसलन दिग्विजय सिंह, अभिषेक मनु सिंघवी और बेशर्म कपिल सिब्बल |

असल में बात जो समझ में आती है वो ये है कि जो कुछ पढ़े लिखे और स्वार्थ में अंधे लोग हैं इनको वो अन्ना जो कि ८ दिन से अनशन पर बैठे  हैं और पहले भी देश और प्रदेश कि भलाई के लिए अनशन कर चुके हैं, वो स्वार्थ परक दिख सकते हैं. इनकी समझदानी इतनी छोटी हो सकती है, ये आश्चर्यजनक किन्तु सत्य है और इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता. कोई भी अच्छे से पढ़ा इन्सान इस बात को क्यूँ नहीं समझ सकता कि अन्ना दूसरे गाँधी या कुछ बड़े हैं जो इतना बड़ा संघर्ष कर रहे हैं. अभी भी अगर कुछ समझ्दानियाँ छोटी हैं, भगवन ! इनकी समझदानी को बढ़ाये और अगर ये भगवन को नहीं मानते (जैसा कि प्रायः देखा जाता है) तो ये इस ज़िन्दगी में कुछ अच्छा सोच नहीं सकते.  भगवन इनके अगले जन्म में इन्हें थोड़ी बड़ी समझदानी दें !

अन्ना संघर्ष करो !
हम तुम्हारे साथ हैं !!

अब तो ये स्पष्ट है !
कांग्रेस आई भ्रष्ट है !!

Sunday, June 12, 2011

Vinash kale viprit budhhi......

अन्ना के सामने कांग्रेस पार्टी और सर्कार बेबस तो दिख रही है लेकिन फिर भी सरकार का रवैया अजीब सा है. बहुत कुछ परोक्छ होते हुए भी और सरकार बेबसी में भी कदा रुख अपनाने की कोशिश कर रही है....साढ़े हुए राजनीतिज्ञ जो की परिस्थितियों को अच्छे से कण्ट्रोल कर सकते थे, शांत रहे हैं और कुक उदंड लोगों ने परिस्थितियों को सम्हालने की कोशिश की है. जिस तरीके से कांग्रेस ने बाबा रामदेव के अनशन को भंग किया, वो तो सरकार के दिवालियेपन की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है और साथ में ये भी स्पष्ट होता है की सरकार में कुछ लोगों ने नहीं बल्कि मामला कुछ और लोगों ने सम्हाला है जिनकी परिपक्वता पर सवाल खड़े होते हैं. मुझे तो प्रतीत होता है की यह सोनिया जैसे लोगों की शाह पर कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे लोगों ने परिस्थितियों को बिगाड़ा है.

अभी तो यही लगता है की सरकार "विनाश काले विपरीत बुध्धि" वाले कहावत को चरितार्थ कर रही है. देश का दुर्भाग्य है की बाबा रामदेव और अन्ना हजारे जैसे महा पुरुष जिन्होंने कई मौकों पर सिद्ध किया है की वो लोग देश हित में समर्पित है, प्रश्न चिन्ह लगाये जा रहे हैं.

Friday, July 16, 2010

Eye of the needle

A fabulous read after quite some time by Ken Follet....It's about a german spy Die Nadel who if existed, was very near to let Germany win the World War II. He did a great job...collecting proofs of the biggest English bluff army/airforce base in a particular region of Britain, he made all his effort to let it be handed to Feuhror. He almost made it...but lost the last battle and loved a british women who is good to her till the moment, she didn't know if he is a German.

Overall a great novel to read....


More ....

http://en.wikipedia.org/wiki/Eye_of_the_Needle

Thursday, July 1, 2010

Lapataganj.....

अभी सब टीवी पर लापतागंज सीरियल, जो १०:०० बजे शाम को शुरू होता है...एक बहुत ही ताज़गी भरा प्रोग्राम है. समाज कि मध्य वर्ग के जीवन में खुशियाँ छोटी छोटी चीज़ों से किस तरह से पाई जा सकती हैं...इसका एक बहुत ही अच्चा चित्रण इस सीरियल में करा गया है.
बिजी पांडेय और गुड्डू कि जोड़ी तो बहुत ही अच्छा और मनोरंजक उदाहरण है मध्य वर्गीय समाज के युवकों को चित्रित करता हुआ जो शायद थोड़े व्यस्त हैं अपनी सपनों कि दुनिया में. उनके सपने बहुत बड़े नहीं हैं, बस कुछ चंद हज़ार रुपये और "सुरीली" कि उनके जीवन में उपस्थिति ही उनको भूँकने से लेकर एक अच्छा इन्सान बनाने को प्रेरित करती है.
शेष .....